उसका गीत गाके महफिल सजा लेती हूं ये कविता लिख कर पा लिया करती हूँ उसे उसका गीत गाके महफिल सजा लेती हूं ये कविता लिख कर पा लिया करती हूँ उसे
वहीं दुःख भंजन, परम् सुखराशि बन रे मन राम चरन अनुरागी। वहीं दुःख भंजन, परम् सुखराशि बन रे मन राम चरन अनुरागी।
वसंत ऋतु मौसम आशिकाना प्रेमी-प्रेमिका। वसंत ऋतु मौसम आशिकाना प्रेमी-प्रेमिका।
मैं जीना सीख गई हूं मैं अपनी कहानी से सन्तुष्ट हूं । मैं जीना सीख गई हूं मैं अपनी कहानी से सन्तुष्ट हूं ।
खुदको साबित करके उड़ाने है सबके होश। खुदको साबित करके उड़ाने है सबके होश।
दिन और भी कट जाएंगे मेरे चिंतित मन को और सताएंगे पर मैं खश हूँ और खुश ही रहूंगा सब की याद मन में ताज... दिन और भी कट जाएंगे मेरे चिंतित मन को और सताएंगे पर मैं खश हूँ और खुश ही रहूंगा ...